Madhu varma

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लेखनी कविता -मिट्ठूराम - बालस्वरूप राही

मिट्ठूराम / बालस्वरूप राही


पूसी अच्छी, टॉमी अच्छा,
सबसे अच्छे मिट्ठूराम।
कोई भी घर में आ जाए,
तुरंत पूछते उसका नाम।

हरी मिर्च खुश होकर खाते।
छोड़ केक, पिस्ते, बादाम।
करने देते नहीं पढ़ाई,
इन्हें सदा टें-टें से काम

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